Saturday 7 April 2018

महक का जादू 10


मैने हडबडाकर देखा दिदी मेरे पास ही खड़ी थी ....

मै बहोत घबराई थी ..... मेरी समझ में नहीं आ रहा था ....ये कैसे हुआ ....मै बस उसे देखती ही रही मेरे हाथ अभी भी वही थे (एक मेरी मुनियापर और दूसरा मेरी छाती पर )दिदी एकदम मेरे पास आयी ..... और उसने मेरे कंधे पे हाथ रख कर मुझे झंझोर दिया .....ये तुम क्या कर रही हो रिया...? “फिर मैं एकदम से वास्तव में आ गयी जल्दीसे मैंने अपने हाथ हटाये .... और अपनी हथेलियोमे अपना चेहरा छुपा कर सुबकने लगी दिदी धीरेसे मेरे बाजू में बैठ गयी ... उसने मेरी पीठ पर हाथ रखकर सहलाया ....अरे ....पगली .... ये तुम क्या कर रही थी ...... और क्यों कर रही थी मै बहोत लज्जित हुयी .....मै कुछ नहीं बोली और सुबकने लगी ....नेहा दिदी ने मेरी पीठ को और थोडा सहलाया और पुचकारते हुए बोली ....देखो .... मेरी प्यारी गुडिया .... ऐसे रोते नहीं ....... चल मुझे बता तो ...ये तू क्या कर रही थी “...........”रि..या ...... रोना बंद करो ...बेटा ... और मुझे बता .... ये तुम्हे किसने सिखाया ?”मैं और जोरसे रोने लगी ... तब नेहा दिदी ने मुझे अपने सिनेसे चिपटा लिया .... और धीरे धीरे मेरी पीठ सहलाने लगी वो कभी सहलाती तो कभी मेरी पीठ पर हलकी हलकी थपकिया देती .......मै उसके सिने मे अपना मुह घुसा कर रो रही थी ......थोड़ी देर हम वैसे ही बैठे रहे मै थोड़ी शांत हुई ..... दिदी ने मेरे बालो में अपनी उंगलिया घुमाई .... और मुझे थपकिया देती बोली मेरी प्यारी गुडिया ..... अब मुझे अच्छे से बता .... तुझे ये सब किसने सिखाया?”मै डरते डरते बोली किसी ने नहीं दिदी ......नेहा दिदी आगे पूछा तुम ये सब कब से कर रही हो?”मै शरमाकर बोली अभी किया दिदी ......उसने सवाल बदल कर फिर पूछा इस के पहले कितनी बार तुम ऐसा कर चुकी हो ?”मै सच्ची दिदी ...... आज पहली बार ही ये किया ....और मैंने शरमाकर उसकी छाती में मुह छुपा लिया दिदी ने मेरी ठोड़ी को पकड़कर मेरा मुह ऊपर किया और पूछा ....तो ये सब कहासे सिखा तुने...... किसी को ऐसा करते देखा क्या?”मै सकुचाते हुए बोली हां दिदी ....दिदी: किसे देखा ...?”आपको ......और मैंने गर्दन नीची कर ली दीदी हक्किबक्की सी मुझे देखने लगी ........ उत्तेजना से वो जोरसे बोली किसे ...... मुझे....मै दर के मरे सिहर उठी ... मैंने सोचा की अब वो मुझे खूब डाटेंगी .... शायद मारे भी ......मैं चुपचाप सुबकने लगी ........फिर वो थोड़ी शांत हुई ....... थोड़ी देर चुप रह कर वो फिरसे मेरी पीठ सहलाती हुई बोली रिया ....बेटा .... इधर देखो....उसने मेरा चेहरा उसकी ओर मोड़ा और धीमी आवाज में फिर से पूछाकब देखा तुमने .....और क्या क्या देखा मैं डरते हुए धीरेसे बोली आज दोपहर में ..... जब तुम वो विडिओ देख रही थी ये सुनते ही दीदी की आँखे फ़ैल गयी .......
लेकिन तुम तो ... स्कूल से ......आयी ...... न ...ही.....
फिर मैंने अटक..अटक कर उसे पूरी बात बताई ... की मैंने उसे कैसे देखा .....
दीदी चुपचाप सुनती रही .... फिर उसने मुझे पूछा की मुझे कैसे पता चला की मैं लैपटॉप पे विडिओ ही देख रहि हूँ........ मैं थोड़ी देर चुप रही ....और फिर उसे बाद की बात सुनाई की कैसे मैंने वो वीडियो देखा ....
नेहा दीदी चुपचाप मेरी ओर आश्चर्य से देख रही थी ........ मुझे बहोत अनकम्फर्टेबल फील हो रहा था 
फिर दीदी ने मुझे धीरेसे गले लगाया .....और बोली 
तू तो बड़ी सयानी हो गयी रे...... रिया .....
और धीरे धीरे मेरी पीठ सहलाने लगी ....... अब मैं भी थोड़ी नॉर्मल हो गयी थी ..... मुझे तब पहली बार अहसास हुआ की में टॉप अभी भी पूरा उपर था ..... पजामी निचे .... मै लगभग नंगी ... नेहा दीदी से चिपटी बैठी थी .
अपनी नग्नता का अहसास हो ने के बाद मैंने अपना टॉप निचे करने की कोशिश की ....
तो नेहा दीदी ने मेरा हाथ बिच मे ही पकड़ा 
दीदी : अब रहने दे ना .... जरा मैं भी तो देखू .... मेरी बहन कितनी और कहा कहा से जवान हुई है
मैं शर्मा गयी ... और अपनी हथेलियोमे अपना चेहरा छुपाया ........ 
नेहा दीदी ने मेरे हाथोको दूर किया ... मेरी ठोड़ी पकड़कर....मेरा चेहरा उपर उठाया 
और मेरी आँखों में देखने लगी .... मैंने शरमा कर आँखे झुका ली ....
दीदी मेरे करीब आयी उसने दोनों हथेलियोंसे मेरे चहरे को पकड़ा और नजदीक खीचा 
अब दीदी की गर्म साँसे मुझे अपने चहरे पर महसूस हो रही थी ....... मेरी भी साँसे तेज़ हो गयी ...
और दीदी ने अपने नर्म मुलायम होठ मेरे होठो पर रख दिए ...... मेरे अंग अंग में बिजली सी दौड़ पड़ी ...... 
हाय क्या मस्स्स्सस्त अहसास था ........ नेहा दीदी की वो मदमाती गंध ... आज भी मेरी साँसों में है .......
दीदी धीरे धीरे मेरी होठ चूस रही थी ..... उसके हाथ मेरी छातियोके उभारो पर रेंगने लगे ...
मै सिहर उठी ........
दीदी ने अपनी जीभ मेरी होठो पर फिराई .... मेरे होठ थोड़े खुल गए ........
तो उसने उसकी जीभ को मेरे होठो से अन्दर घुसा दिया ...... मेरा मुह और थोडा खुला अब उसकी जीभ मेरे जीभ से खेलने लगी ....... थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ को वापस खीच लिया ......
अब मेरी जीभ भी उसका पीछा करते करते दीदीके मुह में जा पहुंची .......तो दीदी ने उसको चुसना शुरू किया .....
मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी थी ... इधर दीदी के हाथ मेरे संतरोको दबाने लगे थे ......
हाय........स्स्स्सस्स्स्स क्या मजा आ रहा था ........
थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे उस समाधि से बहार निकाला ......उसके होठ मुझसे दूर हुए ...... मैंने शिकायत भरी नजरोसे उसे देखा ....... वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी ......
दीदी : हाय..... मेरी प्यारी रिया तो पूरी जवान हो गयी रे ...
मैं शरमा गयी ...
दिदने मेरा टॉप सरसे निकाल दिया ...... मेरी बगलो मे हाथ डाल कर खड़ा किया .... और पैरोसे पजामी भी निकाल दी ..... अब मै पूरी तरह से नंगी खड़ी थी ......
दीदी : चल मेरी प्यारी बहना ....... मेरी रूम में चलते है .... वहा मै तुम्हे पूरी तरह जवान बनाउंगी
उसने मेरे पिछेसे हाथ डाल कर मेरी छतिया दबाई और मुझे चलाते हुए उसके रूम में ले गयी .
रूम में जाते ही नेहा दीदी ने अपने सारे कपडे उतारे और नंगी हो गई ..... मैं उसकी सुन्दरता देख कर मोहित हो गयी .
दीदी ने फिर मुझे चूमा और बोली 
आज मैं अपनी प्यारी गुडिया को जवानी का पूरा मजा दूंगी ...
उसने मुझे कस के गले लगाया और पागलो की तरह चूमने लगी .....
मैं तो उत्तेजना से पागल हो गयी .... मैं भी उसे चूमने में साथ देने लगी .......
दीदी ने मुझे पलंग पर लिटा दिया .......और मुझ पे चढ़ गयी .....
वो मेरी छातियो को आटे की तरह गुंध रही थी ..... मेरे से सहा न गया .... मेरे मुह से अजीब आवाजे निकलने लगी ....
ओ ..ह.ह.ह.ह. दी...दी....... स्सस्सस्सस आ ........ह .......
उफ्फफ्फ्फ़ ........ हा .......य........अ...अ.अ.....आ....
फिर दीदी मुह निचे कर के मेरे छोटे निप्पल को चाटने लगी.......
स्सस्सस्स अ...अ.अ...आ......ह...
उसके हाथ मेरी जान्घोपर घूम रहे थे .... उसने मेरी मुनिया पे जैसेही हाथ रखा .....
मै तड़प उठी 
उफ्फ्फफ्फ्फ़ .......स्सस्सस्स........स्सस्सस्सीईईईई ......
दीदी और निचे गयी और उसने मेरी मुनिया को चाटना चालु किया
ह्हह्हह्हह्हम्मम्मम्म..........स्स्स .......हय्य्यय्यय्य्य्य.....ओ ....ह ......
मैं जोरसे चिल्ला रही थी .....
दिदिने मेरी मुनिया में अपनी जीभ घुसाई .... और उसे अन्दर बहार करने लगी 
मै सातवे आसमान में पहुंची ......
मेरी मुनिया सुर सुर करने लगी ..... दीदी ने जीभ की स्पीड बढाई .......
ऊऊऊऊउईईईई ......माआआआआआआ ......मर... गयि..... आआआआह्हह्हह्हह्ह
ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्ह...... ऊओह्हह्हह्हह्ह...... आआआआआआह्हह्हह्हह.... आआआअह्हह्हह्हह्ह
मुझे झटके आने लगे ...... मैंने दीदी के सर को मेरी मुनिया पर दबा दिया ......मेरी मुनियासे गरम गरम पानी बहने लगा .....
आआआआआ ....ह्ह्ह.....स्स्स्स. आ......उ......म्मम्मम
मैं थोड़ी देर में शांत हुयी ...... मेरी आँखों से सामने तारे नाच रहे थे ....... ऐसा लग रह था की किसीने मुझे निचोड़ दिया हो ....... 
बड़ी देर तक मै यूही बेजान पड़ी रही ...... दिदी ने ऊपर आकर मुझे कास के गले लगाया 
दिदी: आज मेरी प्यारी गुडिया ....... पूरी तरह जवान हो गई ....
और मुझे चूम लिया 
दिदी पूरी तरह से मुझे चपकी थी .... मेरे अंग का हर हिस्सा उसे छु रहा था ... नहीं..... चिपका हुआ था 
मै नेहा दिदी के नरम मुलायम शरीर को महसूस कर रही थी ..... बड़ा सुकून मिला मुझे ....
मै : दिदी ...... क्या मै .......आ....प...की .....छा.......ती ......यो.... को छु .......
दिदी के समझ में आ गया की मै क्या चाहती हु ..... वो हसी और मुझे एक हलकी सी चपत लगते बोली 
अरे पगली .... इसमें पूछने की क्या बात है ...... मै तो तेरी ही हूँ ..... मेरा सब कुछ तेरे लिए तो है
इतना कहके उसने मेरे हाथ अपनी छातियो पर रख दिए और मुझे समझाया 
रिया डार्लिंग ...... इसे स्तन बोलते है ..... छतिया नहीं ...... इसके दुसरे नाम भी है ......” 
मै: क्या.....
दिदी ने मेर हाथो को उसके स्तानोपर दबाया और बोली 
इसे उरोज या मुम्मे भी बोलते है ... इंग्लिश में इसे बूब्स बोलते है
अब मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था ..... मैं हौले हौले दीदी के स्तन दबाने लगी 
दिदी हलकी हलकी आहे भर रही थी ......
फिर उसने मुझे अपने पुरे शरीर से वाकिफ करवाया ..... सब पार्ट्स के नाम बताये .....
जैसे की चूत, योनी , फुददी , दाना ...... 
ये सब पार्ट्स उसने मुझे छूआकर दिखाए ..... मै तो दिदी का हर अंग करीब से छूकर,दबाकर, और कभी कभी चाट कर देख रही थी .....
उसके बाद फिर मस्ती का तूफानी दौर चला ........ इस बार नेहा दिदी की बारी थी ...
वो जैसे जैसे मुझे बताती गयी ..... मै आज्ञाकारी शिष्य की तरह वैसे करती गयी ....
दीद ने जैसे सिखया उसी तरह मैंने उसके होठोको चूमा .... जीभ डालकर चूसा .....
हाय ...... क्या नरम होठ थे दिदी के ...... जैसे गुलाब की पंखुड़िया ....
मैंने उसके स्तानोको भी खूब चूसा ...... निप्पल्स को चुभलाया ...... 
दिदी पूरी तरह मस्त हो गयी थी 
मैंने दिदी की बगलों को सुंघा .... उस भीनी भीनी खुशबू को अपने आप में समां लिया ...
मैंने उसकी चूत को चाटा ...... दाने के साथ खूब खेली ......
दिदी ....... जब झड़ने पर आयी तो उसने मेरा मुह अपने जन्घोमे दबाया .......
मै उसका यौवन रस पि गयी ......
बहोत देर तक हम दोनों एकमेक को चूमते चाटते रहे ....
शाम होने को थी ...... दिदी बोली 
चल छोटी अब जरा भर घूम के आते है .... रात में खूब मस्ती करेंगे .........
और रात के रंगीन सपने देखते देखते मै उठ कर अपने कमरे में चली गयी 

थोड़ी देर बाद वो फिरसे कुछ सोचते हुए बोली ....
और मेरे अन्दर का लावा फुट गया ......
नेहा दिदी की रिसती चूत 
दिदी मेरे पेंटी खीचते हुए 

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महक का जादू 13

सौम्याने शरमाते हुए हम दोनों के कपडे उतारे .... मेरा टॉप और समीज उतरने के बाद ... सौम्या मेरे उभारो को देखती रही ..... शायद उसके मुह में ...