Friday 6 April 2018

महक का जादू 1

महक का जादू ये काहानी सौंदर्या दीदी ने लिखी है 
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सौंदर्या दीदी 

दोस्तों मैं अपनी सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ. अपनी काहानी शेयर करने का यह मेरा पहला अनुभव है. मेरा आपसे अनुरोध है , कृपया मेरी गलतियों को बताये और मेरा मार्गदर्शन करे ताकि मैं अपनी काहानी आपको अच्छी तरह से बता सकू. आप लोगो के सुझाव और हौसला अफजाई की मैं आतुरता से प्रतीक्षा करुँगी. 

मेरा नाम महक है, आज मैं २५ साल की हूँ . मैं अपनी इंजीनियरिंग की स्टडी पूरी कर चुकी हूँ.अभी मैं बिज़नस मैनेजमेंट की पढाई कर रही हूँ. मैं और मेरा परिवार एक छोटेसे कसबे में रहते थे. मेरा परिवार बहोत ही छोटा है, जिसमे मेरे पिता, माँ और मेरा छोटा भाई और मैं ये चार ही लोग रहते थे. मेरे दादाजी का देहांत मेरे बचपन में ही हो गया था. 


मेरे पिता एक मेहनती किसान है. हमारी फार्म सारे इलाके में जानी पहचानी है. पिताजी एक पढ़े लिखे किसान है जो नए तरीके से खेती करने में विश्वास करते है. मेरी माँ एक मेहनती गृहिणी है, वो घर के साथ साथ खेती के कामो में भी हाथ बाटती हैं . मेरा छोटा भाई मेरे से सिर्फ दो साल छोटा है. 


मेरी ये कहानी वहा से शुरू होती है जब मैं xx साल की थी और मेरा दसवी कक्षा का नतीजा आया था . मुझे पुरे ८५ प्रतिशत मार्क्स मिले थे, माँ पिताजी दोनों बहोत ही खुश थे. मेरे गाँव में xx के बाद पढाई की सुविधा नहीं थी. पिताजी चाहते थे की मैं खूब पढू, बहोत सोच विचार के बाद ये फैसला हुवा की मुझे मामाजी के यहाँ आगे की पढाई के लिए भेजा जाये. मेरे मामाजी शहर में रहते थे. मामाजी के शादी माँ से पहेले हो चुकी थी पर मामाजी अभी तक बेऔलाद थे.

मामाजी और मामिजी दोनों मुझे और मेरे भाई से बेहद प्यार करते थे. 
मैं पिताजी के साथ शहर आ गई , मेरे मामाजी का बहोत बड़ा मकान था, और रहने वाले सिर्फ दो लोग.
मामिजी ने कहा "अच्छा हुवा तुम यहाँ आ गई , अब हमारे घर में थोड़ी रौनक आएगी"
मामीजी ने मेरे लए ऊपर वाला कमरा ठीक कर दिया. ताकि मेरी पढाई में कोई डिस्टर्ब ना हो .
शुरुवात में कुछ दिनों तक मुझे घर की बहोत याद आती थी. लेकिन फिर मै ये सोच के खुश होती थी की अगले साल मेरा भैया भी वही आने वाला है.

दोस्तों तब तक मै सेक्स से पूरी तरह से अपरिचित थी. जबकि मुझमे कुछ जिस्मानी तब्दीलिया आनी शुरू हो गई थी, जैसे मेरी छाती के उभार बड़े होने लगे थे, अब ये छोटे संतरे की तरह थे. पर अबतक मै ब्रा नहीं पहेनती थी. मैं अन्दर से समीज पहनती थी. मेरी कांख में भी बाल उगने शुरू हो गए, और वैसे ही बाल मेरी योनी पर भी आने लगे थे.मेरी माहवारी तो पिछले साल ही आना शुरू हुई थी. पर माँ ने इस बारे में जादा कुछ बताया नहीं था. 

लेकिन शहर में आने के कुछ दिनों बाद मेरी सेक्स की जानकारी बढ़ने लगी.
मेरी क्लास में जो लडकिया थी उन सबकी छाती मुझसे काफी बड़ी लगती थी. और वो लडकिया काफी फेशनेबल भी थी 
उनमे से एक लड़की थी रिया जो की मेरे घर से थोडा पास ही रहती थी, उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. रिया मेरे घर पढाई करने आने लगी, कभी कभार मै उसके घर जाती थी .
एक दिन जब रिया मेरे घर आई थी, हम उपरवाले कमरे में पढाई करने बैठे थे, मै कुर्सी पर और रिया टेबल से टिक कर बैठे थे . अचानक मैं उठ के खड़ीहो गयी, और उसी समय रिया भी सीधी होने जा रही थी, परिणामवश हम दोनोभी जोरोसे टकरा गई. मेरी कोहनी रियाकी छाती से जा टकराई ...
रिया : उई माँ ........ मर गई .....
मै: सॉरी रिया .... बहोत लगा क्या रे 
रिया छाती से हाथ लगाये बैठ गई मैंने उसे फिर पूछा "बहोत दर्द हो रहा है क्या? और मैंने उसकी छाती पर हाथ रखा, रिया ने पटक से मेरा हाथ अपने सिने पे दबाते हूए लाबी साँसे लेना शुरू किया . मैंने सोचा की मालिशकरने से उसे कुछ राहत मिलेंगी इसलिए मैंने धीरेसे उसकी छाती को मसलना शुरू किया
अब रिया ने आपनी आँखे बंद कर ली थी और उसने मेरा दूसरा हाथ पकडके अपने दुसरे स्तन पर रख दिया , और मेरे हथोको उपरसे ही दबाने लगी. 
मैंने भी अनजाने में उसके स्तानोका मर्दन करना शुरू किया. थोड़ी देर बाद मैंने रुकना चाहा, तो रिया बोली "प्लीज महक , रुक मत यार ...... और जोरो से दबा .... प्लीज़ " और उसने अपना टॉप थोडा खिसका कर मेरे हाथो को अपनी टॉप के अन्दर खीचा, अन्दर समीज या ब्रा कुछ भी नहीं था, उसकी नंगी छतिया मेरे हाथो में थी . मैं असमंजस में थोड़ी देर रुक गई 
रिया फिर बोली " प्लीज़ यार महक ...... दबा इनको .... जोरसे दबा दे इनको "मैं फिर अपने काम में लग गई (दबाने के ) , दोस्तों अब मुझे भी अजीब सा मजा आने लगा था. रिया तो अपनी आखें बंद करके पूरी मस्ती में झूम रही थी, मैंने महसूस किया की रिया के निप्पल एकदम कड़े होने लगे, उसने आँखे खोली तो उसकी आँखे गुलाबी लगने लगी , उसने एक झटकेसे मुझे अपनी और खीचा और मेरे होंठो पे अपने होठ रख कर पागलो की तरह चूमने लगी.
मैं कसमसाई, ताकत लगाकर मैंने उसे दूर धकेला
मैं: ये क्या कर रही हो .....
रिया मुझे फिरसे आमने पास खीचते हुए बोली "मेरी जान आ जा मेरी प्यास बुझा दे , मेरे बदन में आग लगी है...... आजा मेरी जान"
मै: "ये क्या पागलो जैसी हरकत कर रही हो रिया ..... छोडो मुझे...." और मैंने उसे जबरदस्ती अपनेसे अलग किया .
रिया: प्लीज यार महक ..... प्लीज .... फिरसे दबा दे ...... देख मैं कैसी जल रही हूँ.... मेरा बदन कैसे तप रहा है......" 
इतना कहके उसने मेरा हाथ फिरसे उसकी टॉप के अन्दर डाल दिया.
मैंने महसूस किया की उसका बदन भट्टी की तरह तप रहा था. उसकी आँखे लाल हो गई थी . घबराकर मैं बोली " अरे तेरा बदन तो बहोत ज्यादा गरम लग रहा है.... बुखार आया क्या ?"
रिया : " हा मेरी जान .... ये जवानी का बुखार चढ़ा है मेरे ऊपर .... जल्दी से इसे ठंडा करदे...." और फिरसे वो मेरे हाथो से उसकी छतिया दबाने लगी .मैं: "रिया रुक मैं मामी से मांग के कुछ मेडिसिन लाती हूँ" मैंने फिरसे अपने आप को छुडाने का असफल प्रयास किया.
रिया मेरे हाथ जबरदस्ती से भिचते हूए बोली " हाय रे मेरी भोली डॉक्टर ..... मेरी मेडिसिन तो तेरे ही पास है "
मैं: " मैं समझी नहीं रिया..... ये तुम क्या बोल रही हो ......."
रिया: " मैं सब समझाती हूँ मेरी भोली महक .... तू बस इनको दबाती जा ......"
मैंने हथियार डालते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया ......
मेरे लिए भी ये नया अनुभव था . मुझे कुछ कुछ अच्छा भी लगने लगा था .....
रिया ने फिरसे मुझे आपने पास खीचा और मेरे होंठोपे चुम्बन जड़ दिया .
रिया: " क्या तुमने अभी तक ऐसा नहीं किया ?"
मैं :"ऐसा यानी ..... मै समझी नहीं "
रिया: " मेरी भोली बन्नो ..... क्या आजतक तुमने किसी को चुम्मा नहीं दिया..... "
मैं: "छि .... गन्दी कही की ......"
रिया ने मुझे थोड़ी देर के लिए अलग किया और वह दरवाजे की तरफ भागी. उसने दरवाजे की कुण्डी अच्छी तरहसे बंद करदी और फिर भाग के मेरे पास आते हुए मुझे जोरसे अपनी बाहों में भीच लिया .मैं उसे देखती ही रही ..... मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था .
मैं बोली " ये क्या कर रही हो रिया.... दरवाजा क्यों बंद किया..... क्या हूवा है तुझे "
रिया ने बड़े प्यारसे मेर तरफ देखा और बोली "आज मैं मेरी भोली बन्नो को .... जवानी का अद्भुत खेल समझाने वाली हूँ ."
मैं : "जवानी का अद्भुत खेल ? ये क्या है.."
उसने फिर एक बार अपने होठोसे मेरे होंठ बंद किये..... और मेरी उभरती हुयी छातियो को अपने हाथोसे भीचना शुरू किया. 
जैसे ही रिया के हाथ मेरी छातियोसे लगे .... मैंने एक अजीब सा रोमांच महसूस किया ....
एक नशा सा होने लगा था .... रियाने मेरे निचले होठ पर अपनी जुबान फिराना शुरू किया .... 
उसके हाथ अब मेरी टॉप के अन्दर जाने की कोशिश कर रहे थे ..... 
मुझे थोडा अजीब लगा पर ना जाने क्यों मैंने उसे रोकनेका प्रयास भी नहीं किया. 
जल्द ही उसके हाथ मेरी टॉप के अन्दर थे ....... 
लेकिन उन हाथो की मंझिल कुछ और थी....... उसने फिर थोड़ी मेहनत कर के अपनी मंझिल को पा ही लिया....
उसने मेरी समिज के अन्दर हाथ डालते हुए मेरे नग्न स्तनों को छू लिया....

उफ़...... मेरी तो साँस जैसे थम गई...
एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा की ..... मैं हवा में हूँ .... मैं उड़ रही हूँ.
रियाने मझे जमीं पर उतरने का मौका ही नहीं दिया , और वो मेरे स्तनों को जोरसे दबाने लगी... 
दोस्तों मेरी जिन्दगीका पहेला स्तनमर्दन हो रहा था.
एक अजीब सा ...मीठा सा दर्द महसूस कर रही थी मैं..... मैंने आजतक ऐसा कभी अनुभव ही नहीं किया था . 
रिया ने तो जैसे मुझे पागल करने की ठान ली थी , उसने मेरे स्तानाग्रो को चुटकी में भर कर उमेठा ..... 
स्स .स्स. स्स. स्स .स्स…….. हाय मेरी तो जान ही निकल गई ...... 
मैं चीखना चाहती थी ....... मगर चीख नहीं सकती थी .... 
क्योंकि मेरे होट तो रियाने अपने होटोसे बंद किये थे. 
पर हुआ ये के मेरा मुह थोडासा खुल गया .......
रियाने इसी मौकेका फायदा लेते हूए अपनी जीभ को मेरे होटोसे अन्दर की और सरका दिया .... 
अब उसकी जीभ मैं अपने जीभ से टकराती महसूस कर रही थी .......
मुझे एक अजीबसा मजा आ रहा था ...... मैंने अपने जीभ से रिया की जीभ को धकेलना चाहा.......
मेरी इस कोशिश में मेरी जीभ रिया के मुह में चली गई ........
अब रिया मेरी जीभ को अपने मुह में लेकर चूस रही थी ..... 
मेरे निप्पल अब पूरी तरहसे कठोर हो गए थे . 
रिया का दबाना, उमेठना और मेरे होटो को चूसना जारी था और मुझे पूरी तरह से पागल कर रहा था.
न जाने कितनी देर तक हम वैसे ही रहे ...... 
अचानक रियाने चुम्बन तोडा और अपने हाथ खीच कर अलग खड़ी हो गई . 
जैसे उसने मुझे आसमान से उठाकर जमीं पर पटक दिया
मैं रिया की तरफ असंजस भरी नजरो से देखने लगी. 
रिया मंद मुस्कुरा रही थी . मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था . 
रिया धीमे कदमोसे चलते हुए मेरे पास आई , मेरी पीठ सहलाते हूए मुझे पलंग की ओर ले गयी. 
उसने मेरे कंधे पकड़कर मुझे निचे बिठाया. 
मैं एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्म से लाल हो गई. रिया ने धीरे से पुछा 
"महक मेरी जान ..... कैसा लगा ?"
मैं तो शर्म से मरी जा रही थी , मैंने अपना चेहरा रिया की छातियो में छुपाना चाहा.
उसने फिर से मेरा चेहरा हाथो में लेकर एक चुम्बन जड़ दिया और फिरसे पुछा 
"मेरी भोली रानी .... कैसा लगा यह खेल?"
मैंने मुस्कुराकर निचे देखा. 
रिया : " देखो महक , अगर तुम जवानी का यह अद्भुत खेल सीखना चाहती हो तो शर्मना छोडो और बताओ की तुम्हे ये सब कैसा लगा?"
मैं: "क्या कैसा लगा?"
रिया : "ओह , तो तुझे अच्छा नहीं लगा ...... ठीक है मैं चलती हूँ अपने घर ...."
मैं घबरा गयी .... मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती निचे बैठाते बोला "रिया मैंने ऐसा तो नहीं बोला यार"
उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़कर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और बोली
"तो तुम्हे जवानी का अद्भुत खेल खेलना है ?"
जवाबमे इसबार मैंने खुद को समर्पित करते हूए रिया के होंठो पर अपने होठ रख दिए .
रिया ने ख़ुशी के मारे मुझे अपने सिनेसे लगाया और बोली 
" चलो मेरी जान अब इस खेल की शुरुवात करते है "

रिया ने बतया "देखो महक इस खेल के कुछ नियम है उनका पालन कठोरता से करना 

१ मेरी सभी बाते बिना हिचक माननी होगी 
२ कोई भी शंका अभी नहीं पूछनी (बादमे कोई भी शंका बाकि नहीं रहेगी)
मैंने कहा "मुझे तुम्हारी हर शर्त काबुल है रिया .... लेकिन जल्दी शुरू करो "
रिया ने हसते हुए मेरे निप्पल को उमेठा ....... स्स्स्सस्स्स्स ...... हाय मेरी तो जान ही निकल गयी .

रियाने मेरी टॉप को निचेसे पकड़ा और उसे खीचकर मेरे सर से निकाल दिया. मैं सिर्फ समीज पहनकर बैठी थी.

दोस्तों इस के पहले मैं किसी के सामने सिर्फ समीज में नहीं गयी. 
मुझे शर्म आ रही थी, मैंने हाथोसे अपनी छातियो को ढकना चाहा पर रिया ने मेरे हाथो को पकड़ कर मना कर दिया. 


रिया बड़े प्यार से मेरे रूप को देख रही थी. 


मैंने शर्मा के नजरे नीची कर ली . 


रियाने फिरसे मेरी ठोड़ी पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर किया और बोली 

"मेरी जान शर्मना छोडो और मेरी आंखोमे आँखे डाल कर देखो "
मैंने उसकी आग्या का पालन करते हूए उसीकी आँखों में देखा रिया मेरी तरफ तारीफ भरी नाजोरेसे देख रही थी . 
उसने मेरी समीज को निचेसे पकड़ा , मैं उसका इरादा भाप गयी, और उसके हाथ पकड़ लिये. उसने भी जोर लगा कर समीज को ऊपर की तरफ खीचना चालू किया 
समीज को ऊपर खीचते वो बोली 
" मेरी जान तुम मेरी सारी शर्ते काबुल कर चुकी हो .... अब ये शर्माने का नाटक छोड़ दो "
मैंने हार कर अपने हाथ ढीले छोड़ दिए. रियाने एक झटके में मेरी समीज को मेरे सर से निकल दिया. 
अब मैं ऊपर से पूरी तरह नंगी थी.
मैंने देखा मेर संतरे जैसे स्तन कठोर हो गए थे मेरे गुलाबी निप्पल पूरी तरह फुल चुके थे
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