Friday 6 April 2018

महक का जादू 3

रिया ने घडी की तरफ देखा और बोली "महक अब मुझे घर जाना चाहिए..... वर्ना मेरे घर वाले ढून्डते हूए आ जायेंगे"
और हम
दोनों ने फटाफट कपडे पहने.
मैं: "पर रिया ......"

रिया : "मुझे पता है महक .... तुम्हे बहुत कुछ पूछना है ..... लेकिन अभी नहीं ..... मैं तुम्हे सब कुछ बताऊंगी लेकिन बाद में अब तो हम दोनों एक ही खेल के पार्टनर है"
मैं: " फिर कब आवोंगी ?"
रिया : "बहुत ही जल्दी आउंगी मेरी जान..... तुझसे जादा जल्दी तो मुझे है .... तेरा मखमली बदन मुझे सोने नहीं देगा "
इतना कहके रिया अपने बुक्स समेटने लगी. जाते जाते मुझसे कस के लिपट के रियाने एक कड़क चुम्मा मेरे होटों पे दिया और कुण्डी खोलके बहार निकल गई.

रिया के चले जाने के बाद न जाने कितिनी देर तक मैं वही बैठी रही. फिर निचेसे मामी की आवाज आई" महक बेटा शाम होने को है ..... हाथ मुह धोलो और निचे आओ "हर रोज शाम को मामीजी के साथ मैं आरती करती हूँ.
मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई. और निचे पूजाघर की और चल दी .....

आज पूजा में भी मेरा मन नहीं लग रहा था.
मामी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया .... उन्होंने सोचा मैं स्कूल के बारे में या अपने घर के बारे में सोच रही हू.
मैं फिरसे मेरे कमरे में आ गई. पर मेरा मन कही नहीं लग रहा था , सामने किताब खुली थी लेकिन आँखों के सामने अभी भी रिया के भरे भरे स्तन ही आ रहे थे .
मैं अभीभी रियाके होटो की नमी अपने होटोपर महसूस कर रही थी.
इतने में मामी की आवाज आई
"महक बेटा तेरे लिए फ़ोन है ...."
मैंने सोचा की रिया का फ़ोन है ,
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सून कर मैं फिरसे वास्तव में लौट आई. पढाई का बहाना बना के मैंने जैसेतैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की,
आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिरसे फ़ोन बज उठा .
फिरसे मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."



मैं फिरसे निचे गई , फ़ोन उठाया और बड़े ही अनमने ढंगसे बोला " हेलो कौन बोल रहा है ?"
उधरसे रिया की खनकती आवाज आई
" हेल्लो महक ..... वो कल वाली अर्जंट असाइनमेंट की तयारी के लिए मैं तुम्हारे घर आ रही हू...... मैं आज रात को वही सो जाउंगी और सवेरे वही से हम कॉलेज जायेंगे"
मैं सुनती ही रही, वह क्या बोल रही थी ये पहले समझ नहीं आया , लेकिन मैं ताड़ गयी की उसने घर पे कोई बहाना बनया है .
मैं प्रकट में बोली " हा रिया मैं तो तुम्हारी रह देख रही थी ..... तुम कब तक आओगी?"
उसने बताया की वो खाना खाके ९ बजे तक पहुचने वाली है


मैं तो ख़ुशी के मारे दीवानी हो गई थी .
मैं भागते हुए किचन में गयी और मामी से बोली
"मामी जल्दीसे खाना लगादो...... बादमे मुझे बहोत पढना हैं"
मामी अचरज से मेरे इस बदले हूए रूप को देख रही थी. मामीने हसकर बोला
"बैठ बेटा मैं अभी खाना परोसती हूँ."
खाना खाते खाते मैं मामी से बोली
" मामीजी .... मेरी सहेली रिया है न ........ वो रात को यहाँ आने वाली है ..."
मामी: "इतनी रत को ?"
मैं: "हा मामी हमें कल एक अर्जेंट असाइनमेंट देना है...... इस लिए काफी देर तक पढना पड़ेगा..."
मामी: " तो फिर रियासे बोल .... की वो यही सो जाए ....."

मामीजी से परमिशन मिलते ही मैं खुशीसे झूम उठी . मैंने फटाफट खाना ख़तम किया और ऊपर की तरफ भागी .....

मैंने घडी को देखा अभी आधा घंटा बाकी था. सच में दोस्तों वो आधा घंटा मुझे बहोत ही ज्यादा लम्बा लगा.

रिया ९ बजने के पहले ही पहुच गयी.
मामी रिया को लेकर ऊपर आई और हमसे थोड़ी देर बाते करके निचे जाने लगी
जाते जाते मामी बोली " बेटा रातको चाय चाहिए क्या? "
मैं " नहीं मामी रात को चाय पिने से हमको एसिडिटी हो जाएँगी ......"
मामी ने "हम दोनो को गुड नाईट बोला और चली गई
मामी के जाते ही ..... मैं रिया से लिपट गयी और उसे किस करने लगी
लेकिन रियाने मुझे झटक दिया ........
मैं: "रिया अब सहा नहीं जाता ... प्लीज आजाओ ना मेरी जान"
रिया: "महक जल्दबाजी मत कर ..... मामी को निचे जाने दे .... तेरी इस जल्दबाजी की वजह से अपनी पोल खुल जाएँगी."
मैं एकदम से जमीन पर आ गई.
मैं : "सॉरी यार रिया .... मेरे ध्यान में ही नहीं आया"
फिर मैंने नोट किया की रिया कुछ ज्यादा ही सजी सवरी थी. उसका चेहरा चमक रहा था . शायद फेशियल कर के आई थी .
उसने अपने साथ बुक्स के आलावा एक छोटासा बैग भी लाया था. मैंने पूछा
"क्यों री.... फेशियल किया है क्या?"
रिया: "हा रे मैं तो बहोत सी तय्यारी कर के आई हूँ "
मैं: " कैसी तय्यारी?"
रिया: "पहले वेक्सिन किया... फिर फेशियल और फिर स्पेशल बाथ लेके आई हूँ"
मेरे अब ध्यान में आया की रिया बहोत ज्यादा चिकनी लग रही थी.
मैं:" और इस बैग में क्या है?"
रिया एक रहस्यमई मुस्कान के साथ बोली "इसमें मेरा नाईट ड्रेस, कल के लिए कपडे और कुछ ख़ास चीजे है "
मैं : " ख़ास चीजे?"
रिया: "सब बताउंगी रानी ...... थोडा सबर कर......."
मैं: " प्लीज़ यार रिया इतना मत तडपा..... बता न अब "
रिया हसते हूए दरवाजे की ओर बढ़ी और दरवाजा बंद करके पलटी और अपनी बाहे पसार दी
मैं दौड़ के उसके पास पहुची और उसे जोरोसे भीच लिया ,
अब हम दोनों पागलो की तरह एक दुसरे को चूमने लगे.....
चुम्माचाटी के उस दौर के बाद रिया मुझे खीचते हूए बेड के पास ले आयी.
रिया: "महक रानी ... अब तो पूरी रात अपनी है... लेकिन हमें सब कुछ इस तरह से करना है की किसी को जरा भी शक ना हो "
मैं:"मतलब?"
फिर रियाने मुझे समझाया की हमें बाकी लोगो के सामने नोर्मल बिहेव करना है.
किसी भी प्रकार की उत्तेजना का प्रदर्शन नहीं करना है.
और हम दोनों की बाते किसी से भी शेयर नहीं करना है.
अगर हम अपने अपने घर में कोई बहाना बताते है तो वो एक जैसा ही होना चाहिए .... नहीं तो मैं कुछ और बताउंगी और तुम कुछ और ..... ऐसा नहीं चलेगा.
मैंने उसे बोला "मैं समझ गई ....... अब शुरू करे..."
रिया फिर से खिलखिलाते हूए हसी और बोली .... " और ज्यादा जोरोसे बोलना भी नहीं ..... कमरे के बाहर आवाज ना जाने पाये "
मैंने मेरे दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा " हा मेरी माँ ..... समझ गई "
रियाने मुझे आपने सिने से लगा लिया और बोलने लगी की वो बहोत खुश है ..... मेरे जैसी खूबसूरत पार्टनर पा कर... उसने मुझे पूछा
"महक रानी ... आज जो हमने किया ... क्या तुमने इसके पहले कभी नहीं किया था ?"
मैं: " नहीं तो "
रिया: " तो तुम्हे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं?"
मैं: " नहीं बिलकुल नहीं .... तो क्या आज हमने जो किया इसी को सेक्स कहते है ? "


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